-
मर्दित
Meanings: 7; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 3.52071 | Lang: NA
-
fine grained
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.6781559 | Lang: NA
-
broken
Meanings: 5; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.6781559 | Lang: NA
-
powdered
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.6781559 | Lang: NA
-
powdery
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.6781559 | Lang: NA
-
pulverised
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.6781559 | Lang: NA
-
pulverized
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.6781559 | Lang: NA
-
small-grained
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.6781559 | Lang: NA
-
destroyed
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.2119237 | Lang: NA
-
ruined
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.2119237 | Lang: NA
-
मर्द्दित
Meanings: 6; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.05384238 | Lang: NA
-
श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - नाथ अब लीजै मोहि उबार ! ...
श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।
Type: PAGE | Rank: 0.03589492 | Lang: NA
-
trample
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.03140805 | Lang: NA
-
मर्दणें
Meanings: 12; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.02692119 | Lang: NA
-
सुमित्रानंदन पंत - द्वन्द्व प्रणय
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
Type: PAGE | Rank: 0.02243432 | Lang: NA
-
गणपतीची आरती - जय जय श्रीगजवदना , हे गणर...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती.
The poem composed in praise of God is Aarti.
Type: PAGE | Rank: 0.01794746 | Lang: NA
-
पदसंग्रह - पदे ४८१ ते ४८५
रंगनाथ स्वामींचा जन्म शके १५३४ परिघाविसंवत्सर मार्गशीर्ष शुद्ध १० रोजीं झाला.
Type: PAGE | Rank: 0.01570403 | Lang: NA
-
पदसंग्रह - पदे ८६ ते ९०
रंगनाथ स्वामींचा जन्म शके १५३४ परिघाविसंवत्सर मार्गशीर्ष शुद्ध १० रोजीं झाला.
Type: PAGE | Rank: 0.0134606 | Lang: NA
-
अध्याय नववाँ - श्लोक १ से २०
देवताओंके शिल्पी विश्वकर्माने, देवगणोंके निवासके लिए जो वास्तुशास्त्र रचा, ये वही ’ विश्वकर्मप्रकाश ’ वास्तुशास्त्र है ।
Type: PAGE | Rank: 0.0134606 | Lang: NA
-
संतप्रताप
विविध कवींच्या प्राचीन कविता शके १८२७ मध्ये श्री. भावे यांनी प्रसिद्ध केल्या.
Type: PAGE | Rank: 0.0134606 | Lang: NA
-
श्रीधरस्वामीकृत
विविध कवींच्या प्राचीन कविता शके १८२७ मध्ये श्री. भावे यांनी प्रसिद्ध केल्या.
Type: PAGE | Rank: 0.0134606 | Lang: NA
-
खंड १ - अध्याय ३०
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01121716 | Lang: NA
-
अध्याय ८९ वा - श्लोक ६ ते १०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.00897373 | Lang: NA
-
श्रीवामनपुराण - अध्याय १०
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
Type: PAGE | Rank: 0.007852013 | Lang: NA
-
खंड ८ - अध्याय २५
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.007852013 | Lang: NA
-
॥ अथ पारद: ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.007852013 | Lang: NA
-
रसप्रकाशसुधाकरः - द्वितीयोऽध्याय: ।
श्रीयशोधरविरचितो रसप्रकाशसुधाकर:।
Type: PAGE | Rank: 0.007852013 | Lang: NA
-
रसप्रकाशसुधाकर - अध्याय ११
आयुर्वेदाचार्य यशोधर यांचा जन्म गौड जातीत, तेराव्या शतकात सौराष्ट्र देशातील जुनागढ येथे झाला.
Type: PAGE | Rank: 0.006730298 | Lang: NA
-
रसप्रकाशसुधाकर - अध्याय ५
आयुर्वेदाचार्य यशोधर यांचा जन्म गौड जातीत, तेराव्या शतकात सौराष्ट्र देशातील जुनागढ येथे झाला.
Type: PAGE | Rank: 0.006730298 | Lang: NA
-
रसप्रकाशसुधाकरः - एकादशोऽध्याय: ।
श्रीयशोधरविरचितो रसप्रकाशसुधाकर:।
Type: PAGE | Rank: 0.006730298 | Lang: NA
-
रसप्रकाशसुधाकरः - पंचमोऽध्याय: ।
श्रीयशोधरविरचितो रसप्रकाशसुधाकर:।
Type: PAGE | Rank: 0.006730298 | Lang: NA
-
कुशलवोपाख्यान - अध्याय तेरावा
‘आर्या’ वृतातील प्रचंड काव्यरचनेबद्दल प्रसिद्ध असलेले मराठी कवी मोरोपंत हे पुराण मोठे छान सांगत.
Type: PAGE | Rank: 0.005608581 | Lang: NA
-
कथाकल्पतरू - स्तबक ३ - अध्याय १३
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.005608581 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - चतुर्थ अंश - अध्याय १३
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है, वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 0.004486865 | Lang: NA
-
॥अध्याय॥ ११६
एका रामदासीने "दासविश्रामधाम" नावाचे मोठे बाड चार भागात ओवी रुपात लिहिले. धुळ्याचे सज्जन ब्राम्हण व राजवाडे संस्था नि ब्राम्हण बँकांनी ते सन १९३० च्या दरम्यान छापून घेतले.
Type: PAGE | Rank: 0.003926007 | Lang: NA
-
मन्त्रमहोदधि - अष्टादश तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
Type: PAGE | Rank: 0.002804291 | Lang: NA